पीड़ित ने कहा कि हमारा जमीन पर कब्जा है सालो से खेती कर रहे हैं वहीं वन विभाग में कहा कि वहां पर कोई कब्जा नहीं है कोई खेती नहीं हो रही है, पीड़ित ने लगाए सुशासन तिहार में गलत निराकरण का आरोप
The victim said that we have possession of the land and have been farming there for years, while the forest department said that there is no possession there and no farming is being done there. The victim accused of wrong resolution in Sushasan Tihar

सूरजपुर कौशलेन्द्र यादव । कौन सही कौन गलत वाला अब सवाल खड़ा हो गया है, जहां एक तरफ सुशासन तिहार पर एक व्यक्ति वन भूमि पर कब्जा बता रहा है और उसे भूमि पर कई सालों से खेती कर रहा है और वही वन विभाग कब्ज बनने से इनकार कर रहा है, जिसकी शिकायत पीड़ित सुशासन तिहार में करता है और कहता है कि कागज बनाने के लिए विभाग पैसे मांग रहा है, वही सुशासन तिहार में इस आवेदन के आने के बाद वन परीक्षित अधिकारी रामानुजनगर ने सुशासन तिहार 2025 में प्राप्त आवेदन पर निराकरण करते हुए कहा कि हमने जांच करवाया है जिसमें जनप्रतिनिधि व पंच मौके पर मौजूद थे, वन भूमि पर कुछ अज्ञात व्यक्ति जमीन पर कब्जा के उद्देश्य से बेशर्मी की झाड़ियां की कटाई सफाई धीरे-धीरे कर रहे हैं जिस पर रक्षक द्वारा पूर्व में ही गस्ती कर नियंत्रण किया गया था, इस वर्ष उक्त स्थान पर मनरेगा योजना से स्वीकृत कंटूर ट्रेंच का खुदाई कराया जा चुका है, उस स्थान पर किसी भी प्रकार का जोत कोड नहीं किया गया है जंगल की अवैध कटाई पाया गया है भविष्य में किसी भी व्यक्ति द्वारा वन अपराध करते पाए जाने पर उचित कार्रवाई किए जाने की बात कही गई है, जिस निराकरण को देखकर पीड़ित ने अपनी नाराजगी व्यक्त की और दोबारा से आरोप लगाते हुए कलेक्टर सूरजपुर को शिकायत की है कि निराकरण गलत तरीके से किया गया है और जानकारी भी गलत दी गई है।
*वन भूमि अधिकारों के हनन-* सूरजपुर, छत्तीसगढ़: जिले के रामानुजनगर तहसील के ग्राम नकना निवासी युवध सिंह ने अपनी दादी सुखमनिया सिंह के वन भूमि अधिकारों के हनन और सु -सुशासन तिहार 2025 के तहत दायर आवेदन में गलत निराकरण का गंभीर आरोप लगाया है। युवध सिंह ने सूरजपुर कलेक्टर को सौंपे आवेदन में वन विभाग के अधिकारियों पर लापरवाही और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उचित जांच और अपनी दादी को वन अधिकार पत्रक, पट्टा व कब्जानामा प्रदान करने की मांग की है। युवध सिंह के अनुसार, उनकी दादी सुखमनिया सिंह के पति स्वर्गीय हृदय लाल सिंह पिछले 60 वर्षों से ग्राम नकना में वन भूमि पर खेती करते आ रहे थे। उनकी मृत्यु के बाद सुखमनिया सिंह ने लगभग 4-5 एकड़ भूमि पर कब्जा और खेती जारी रखी। इस भूमि पर उनका मकान, बाड़ी और कोठार भी मौजूद है। सुखमनिया सिंह, जो एक अनपढ़ आदिवासी महिला हैं, को उनके अधिकारों के अभाव में कोई दस्तावेज नहीं मिल सका। युवध सिंह ने बताया कि उनकी दादी की भूमि की जांच वन विभाग के अधिकारियों द्वारा नहीं की गई, जिसके कारण उनके अधिकारों का हनन हो रहा है। आवेदन में युवध सिंह ने वन विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि पूर्व में सुखमनिया सिंह को वन भूमि पर खेती करने के लिए वन विभाग, रामानुजनगर द्वारा जुर्माना लगाने हेतु बुलाया गया था। इस दौरान अधिकारियों ने उनसे पहले पैसे जमा करने की मांग की, लेकिन जब युवध सिंह ने लिखित रसीद और जुर्माना राशि का विवरण मांगा, तो अधिकारियों ने गुस्से में रसीद देने से इनकार कर दिया। युवध सिंह ने इस घटना को भ्रष्टाचार का स्पष्ट उदाहरण बताया।
आदिवासी परिवारों के अधिकारों का हनन-
सुशासन तिहार 2025 के तहत युवध सिंह ने अपनी दादी के लिए आवेदन (क्रमांक-25143282700010) दायर किया था, लेकिन उनका दावा है कि वन विभाग ने गलत स्थान की रिपोर्ट अपलोड कर मामले का निराकरण कर दिया। उन्होंने इसे सुशासन तिहार की भावना के खिलाफ और शासन की कल्याणकारी योजनाओं की धज्जियां उड़ाने वाला कृत्य बताया। आवेदन के साथ 12 फोटो और अन्य साक्ष्य भी संलग्न किए गए हैं, जो सुखमनिया सिंह के कब्जे वाली भूमि को दर्शाते हैं। युवध सिंह ने स्थानीय स्तर पर कार्यरत बिट गार्ड कृपा शंकर पांडे जैसे कर्मचारियों को जांच से हटाने की मांग की है। उनका कहना है कि स्थानीय कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण आदिवासी परिवारों के अधिकारों का हनन हो रहा है। उन्होंने कलेक्टर से अनुरोध किया है कि किसी बाहरी और निष्पक्ष अधिकारी द्वारा जांच कराई जाए, जिसमें युवध सिंह और अन्य प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए। उन्होंने जांच की तारीख की पूर्व सूचना देने की भी मांग की है।