गरियाबंद:सुशासन तिहार में सुशासन की अनदेखी! महिला अधिकारी से दुर्व्यवहार के आरोपी संविदा कर्मी को मिला ईनाम,कार्यवाही के नाम पर राजस्व विभाग में अटैच,कलेक्टर बोले: निष्पक्ष जांच के बाद होगी कार्रवाई

Gariaband: Good governance ignored in Sushasan Tihaar! Contract worker accused of misbehaving with a woman officer got reward, attached to revenue department in the name of action, collector said: action will be taken after impartial investigation

 

 

गरियाबंद/जितेन्द्रा सिन्हा: गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर जनपद पंचायत में आयोजित सुशासन तिहार 2025 का उद्देश्य जहां पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना था, वहीं यह आयोजन अब खुद ही पक्षपात और अनियमितता की मिसाल बन गया है। मनरेगा की एक महिला कार्यक्रम अधिकारी से अभद्र भाषा और अशोभनीय व्यवहार करने के आरोपी संविदा संकाय सदस्य अभय प्रकाश साहू को सजा की जगह इनाम के तौर पर एसडीएम गरियाबंद कार्यालय में अटैच कर दिया गया – जिससे पूरे स्टाफ और आमजन में रोष है।

क्या था मामला:
सुरसाबांधा समाधान शिविर के दौरान अभय साहू द्वारा महिला अधिकारी से की गई अशोभनीय टिप्पणी की शिकायत शासन-प्रशासन तक पहुँची। संविदा सेवा नियमों के मुताबिक, इस तरह के गंभीर आचरण पर सीधी सेवा समाप्ति का प्रावधान है, लेकिन यहां आरोपी को छोटे कार्यालय से निकाल कर बड़े कार्यालय में पदस्थ कर दिया गया – जिसे कर्मचारियों और अधिकारियों ने अप्रत्यक्ष प्रमोशन कहा है।

उलझे नियमों की वैधता:
प्रश्न यह भी है कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के संविदा कर्मी को बिना विभागीय आदेश के सीधे राजस्व विभाग (एसडीएम कार्यालय) में कैसे अटैच किया गया? यह स्पष्ट रूप से विभागीय नियमों और प्रक्रिया का उल्लंघन माना जा रहा है।

कर्मचारियों में आक्रोश:
मनरेगा विभाग के 25 से 50 कर्मियों के योगदान की अनदेखी कर, विवादित कर्मी को “सर्वश्रेष्ठ सम्मान” देना कर्मचारियों और समाज के लिए न्याय की परिभाषा पर कुठाराघात जैसा प्रतीत हो रहा है। सुशासन तिहार का यह उदाहरण शोषण और पक्षपात की छाया में खो गया लगता है।

इस  मामले में कलेक्टर गरियाबंद का पक्ष:
“इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अलग से जांच की जाएगी। जांच पूरी तरह निष्पक्ष होगी और रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी। आरोपी को इसलिए अटैच किया गया है ताकि जांच प्रक्रिया प्रभावित न हो।”

अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या प्रशासन वास्तव में निष्पक्षता के साथ कार्रवाई करेगा, या फिर यह मामला भी तंत्र की उदासीनता की भेंट चढ़ जाएगा? जनता और कर्मचारी दोनों इस प्रकरण के न्यायपूर्ण निष्कर्ष का इंतजार कर रहे हैं।

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