युक्तिकरण को लेकर सरकार का संदेश,शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को बेहतर बनाने युक्तियुक्तकरण जरूरी,क्या होंगे फायदे.? पढ़िए विस्तार से,

Government's message regarding rationalization, rationalization is necessary to improve the quality and access to education, what will be the benefits? Read in detail,

रायपुर: छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा की व्यवस्था को बेहतर और ज्यादा प्रभावशाली बनाने के लिए शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया शुरू की है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य यह है कि जहां जरूरत है वहां शिक्षक उपलब्ध हों और बच्चों को अच्छी शिक्षा, बेहतर शैक्षणिक वातावरण और बेहतर सुविधाएं मिल सकें। युक्तियुक्तकरण का मतलब है स्कूलों और शिक्षकों की व्यवस्था को इस तरह से सुधारना कि सभी स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित हो और कोई भी स्कूल बिना शिक्षक के न रहे।
वास्तविक स्थिति क्या है?
राज्य की 30,700 प्राथमिक शालाओं में औसतन 21.84 बच्चे प्रति शिक्षक हैं और 13,149 पूर्व माध्यमिक शालाओं में 26.2 बच्चे प्रति शिक्षक हैं, जो कि राष्ट्रीय औसत से कहीं बेहतर है। हालांकि 212 प्राथमिक स्कूल अभी भी शिक्षक विहीन हैं और 6,872 प्राथमिक स्कूलों में केवल एक ही शिक्षक कार्यरत है। पूर्व माध्यमिक स्तर पर 48 स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं और 255 स्कूलों में केवल एक शिक्षक है। 362 स्कूल ऐसे भी हैं जहां शिक्षक तो हैं, लेकिन एक भी छात्र नहीं है।
इसी तरह शहरी क्षेत्र में 527 स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात 10 या उससे कम है। 1,106 स्कूलों में यह अनुपात 11 से 20 के बीच है। 837 स्कूलों में यह अनुपात 21 से 30 के बीच है। लेकिन 245 स्कूलों में यह अनुपात 40 या उससे भी ज्यादा है, यानी छात्रों की दर्ज संख्या के अनुपात में शिक्षक कम हैं।
युक्तियुक्तकरण के क्या होंगे फायदे?
जिन स्कूलों में ज्यादा शिक्षक हैं लेकिन छात्र नहीं, वहां से शिक्षकों को निकालकर उन स्कूलों में भेजा जाएगा जहां शिक्षक नहीं हैं। इससे शिक्षक विहीन और एकल शिक्षक वाले स्कूलों की समस्या दूर होगी। स्कूल संचालन का खर्च भी कम होगा और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा। एक ही परिसर में ज्यादा कक्षाएं और सुविधाएं मिलने से बच्चों को बार-बार एडमिशन लेने की जरूरत नहीं होगी। यानी एक ही परिसर में संचालित प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल संचालित होंगे तो प्राथमिक कक्षाएं पास करने के बाद विद्यार्थियों को आगे की कक्षाओं में एडमिशन कराने की प्रक्रिया से छुटकारा मिल जाएगा। इससे बच्चों को पढ़ाई में निरंतरता बनी रहेगी। बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर (ड्रॉपआउट रेट) भी घटेगी। अच्छी बिल्डिंग, लैब, लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं एक ही जगह देना आसान होगा।
शिक्षा विभाग ने कतिपय शैक्षिक संगठनों द्वारा युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पर उठाए गए भ्रामक सवालों के संबंध में स्पष्ट किया है कि युक्तियुक्तकरण का मकसद किसी स्कूल को बंद करना नहीं है बल्कि उसे बेहतर बनाना है। यह निर्णय बच्चों के हित में, और शिक्षकों की बेहतर तैनाती के लिए लिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल राज्य की शिक्षा व्यवस्था को ज्यादा सशक्त और संतुलित बनाएगी। युक्तियुक्तकरण से न सिर्फ शिक्षकों का समुचित उपयोग होगा, बल्कि बच्चों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी मिल सकेगी।

छत्तीसगढ़ में 23 शिक्षक संगठनों की चेतावनी:युक्तिकरण रद्द नहीं हुआ तो 28 मई से अनिश्चितकालीन आंदोलन

 

हाल ही में छत्तीसगढ़ के शिक्षक संगठनों ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है। सर्व शैक्षिक संगठन के बैनर तले 23 शिक्षक संगठनों ने मंत्रालय और संचालनालय में ज्ञापन सौंपा है।

दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षक संगठनों की प्रमुख मांगों में विसंगतिपूर्ण युक्तिकरण को रद्द करना शामिल है। साथ ही सोना साहू के समान एक लाख से अधिक शिक्षकों को एरियर्स सहित क्रमोन्नति वेतनमान की मांग की गई है। शिक्षक नेताओं ने पुरानी पेंशन बहाली और प्रशिक्षित शिक्षकों के प्रमोशन के लिए बीएड की अनिवार्यता में छूट की मांग भी रखी है।

2008 के सेटअप में बदलाव स्वीकार नहीं

संगठनों का कहना है कि प्राथमिक शालाओं में दो शिक्षकों से कैसे काम चलेगा। 2008 के सेटअप में किसी भी तरह का बदलाव स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह सेटअप 2009 में केंद्र सरकार के शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत लागू किया गया था।

रिक्त पदों पर नई भर्तियां की मांग

प्रांताध्यक्षों ने कहा कि रिक्त पदों पर नई भर्तियां की जाएं। शिक्षक नेताओं का आरोप है कि शिक्षा विभाग लगातार नए प्रयोग कर रहा है। पिछले साल भी 2008 के सेटअप को रद्द करने का प्रयास किया गया था, जिसे विरोध के बाद रोका गया। इस बार यह प्रक्रिया शिक्षक संगठनों से बिना चर्चा के शुरू की गई।

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