राजस्व विभाग पर बेबुनियाद आरोप, सत्यनगर प्रकरण में तहसीलदार की त्वरित कार्रवाई, स्थानीय राजनीतिक पूर्वाग्रह से लग रहे आरोप

Baseless allegations on the Revenue Department, prompt action by the Tehsildar in the Satyanagar case, allegations being made due to local political bias

 

सूरजपुर/भैयाथान, 20 मई 2025। भैयाथान क्षेत्र के ग्राम पंचायत सत्यनगर में राजस्व विभाग पर लगाए गए आरोपों और सोशल मीडिया पर तहसीलदार और पटवारी की मिलीभगत से सरकारी जमीन पर कब्जा से जुड़ी आशय की खबरों का दूसरा पहलू सामने आया है। स्थानीय तहसील कार्यालय के सूत्रों और ग्रामीणों के हवाले से पता चला है कि ये आरोप पूरी तरह निराधार और तथ्यहीन हैं। दरअसल मामला स्थानीय राजनीति पूर्वाग्रह से प्रेरित है, जिसका मकसद शासन-प्रशासन को बदनाम करना है। कुलमिलाकर कुलमिलाकर सत्यनगर प्रकरण में राजस्व विभाग ने त्वरित और पारदर्शी कार्रवाई की है। तहसीलदार द्वारा जारी स्थगन आदेश इस बात का प्रमाण है कि प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाने में कोई कोताही नहीं बरत रहा। ग्रामीणों और सूत्रों ने अपील की है कि भ्रामक खबरों पर ध्यान न देकर तथ्यों की जांच की जाए, ताकि सच सामने आ सके।प्रकरण के अनुसार, ग्राम सत्यनगर के सरपंच और ग्रामीणों ने 15 मई 2025 को तहसील भैयाथान में आवेदन देकर शिकायत की थी कि खसरा नंबर 2081, रकबा 0.84 हेक्टेयर की भूमि, जहां ग्रामीण दुर्गा पूजा और अन्य धार्मिक आयोजन करते हैं, पर रामबरन यादव द्वारा निर्माण कार्य किया जा रहा है। इस शिकायत पर तहसीलदार भैयाथान ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 16 मई 2025 को स्थगन आदेश जारी कर निर्माण कार्य पर रोक लगा दी। आवेदक रामबरन यादव को 26 मई 2025 तक जवाब प्रस्तुत करने और नोटिस के जवाब में हाजिर होने का निर्देश दिया गया। साथ ही, हलका पटवारी को मौके की जांच कर 26 मई तक प्रतिवेदन जमा करने का आदेश दिया गया।स्थानीय सूत्रों का कहना है कि तहसीलदार ने अपने कर्तव्यों का पूरी तरह पालन किया है। स्थगन आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करना पुलिस का दायित्व है, और यदि इसका उल्लंघन होता है, तो धारा 188 के तहत पुलिस कार्रवाई करती है। ऐसे में तहसीलदार या पटवारी पर मिलीभगत के आरोप बेबुनियाद हैं, क्योंकि पटवारी को प्रतिवेदन जमा करने के लिए 26 मई तक का समय दिया गया है। इसके साथ ही स्थानीय लोगों का कहना है कि यह प्रकरण स्थानीय राजनीति पूर्वाग्रह से प्रेरित है, कुछ लोग अपनी नाकाम कोशिशों को छिपाने के लिए शासन और सत्ताधारी नेताओं को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरें फैलाकर प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों की छवि खराब करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि सत्तासीन नेताओं पर दाग लगाया जा सके।

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