प्रशासनिक अराजकता का नजीर पेश करता एसडीएम कार्यालय सूरजपुर: अटैचमेंट बना रिश्वत और सांठगांठ का हथियार
SDM office Surajpur presents an example of administrative anarchy: Attachment becomes a weapon of bribery and collusion

सूरजपुर एसडीएम कार्यालय: अटैचमेंट के नाम पर भ्रष्टाचार का गढ़, शासन आदेशों की उड़ रही धज्जियाँ
सूरजपुर/कौशलेन्द्र यादव- एक ओर जहाँ छत्तीसगढ़ सरकार भ्रष्टाचार-मुक्त शासन और प्रशासनिक पारदर्शिता के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं सूरजपुर जिला मुख्यालय का अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) कार्यालय इन दावों की पोल खोल रहा है। यहाँ अटैचमेंट के नाम पर खुला खेल चल रहा है, जिसमें शासन के स्पष्ट आदेशों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। कर्मचारियों की मनमानी पदस्थापना और नियमों की अनदेखी ने इस कार्यालय को भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया है। बहरहाल सूरजपुर एसडीएम कार्यालय में अटैचमेंट के नाम पर चल रहा यह खेल न केवल प्रशासनिक व्यवस्था की कमजोर कड़ी को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि बिना कठोर कार्रवाई के भ्रष्टाचार की जड़ें और गहरी हो सकती हैं। अगर सरकार अपनी साख बचाना चाहती है, तो तत्काल उच्च स्तरीय जाँच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई आवश्यक है। वहीं दूसरी तरफ जनचर्चाओ में इस मुद्दे पर लोगों की जुबां पर है कि क्या सूरजपुर में प्रशासनिक अराजकता पर लगाम लगेगी, या यह भ्रष्टाचार का गढ़ बनकर सरकार की छवि को और धूमिल करेगा….? कुलमिलाकर सूरजपुर की जनता और कर्मचारी अब सरकार के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं।
अटैचमेंट: नियमों की आड़ में भ्रष्टाचार का नया हथियार
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सूरजपुर एसडीएम कार्यालय में कई कर्मचारी बिना वैध प्रक्रिया और सक्षम प्राधिकारी की स्वीकृति के लंबे समय से अटैचमेंट पर जमे हुए हैं। शासन के नियम स्पष्ट कहते हैं कि अटैचमेंट केवल अस्थायी और विशेष परिस्थितियों में ही स्वीकार्य है, लेकिन यहाँ यह ‘कमाई का जरिया’ बन गया है। सूत्रों की मानें तो रिश्तेदारी, रिश्वत और सत्ता की सांठगांठ के बल पर कुछ कर्मचारी मनचाहे स्थानों पर बरकरार हैं, जबकि अन्य कर्मचारियों के अधिकारों का हनन हो रहा है।
कर्मचारियों में असंतोष, प्रशासन की चुप्पी
इस अनियमितता ने न केवल कार्यालय के अन्य कर्मचारियों में रोष पैदा किया है, बल्कि आम जनता का विश्वास भी डगमगा रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि चुनिंदा लोगों को विशेष सुविधाएँ देकर न सिर्फ़ पारदर्शिता की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं, बल्कि यह भेदभाव कार्य संस्कृति को भी प्रभावित कर रहा है। बार-बार शिकायतों के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह अनदेखी जानबूझकर की जा रही है…?
*शासन की छवि पर दाग*
सूरजपुर एसडीएम कार्यालय में चल रहा यह गोरखधंधा सरकार के ‘भ्रष्टाचार मुक्त शासन’ के दावों पर गंभीर सवाल उठा रहा है। समाजसेवियों और जागरूक नागरिकों ने इस मामले की उच्च स्तरीय जाँच की माँग की है। सोशल मीडिया पर भी प्रबुद्धजन इस मुद्दे पर तंज कस रहे हैं, लेकिन स्थिति में सुधार न होना चिंता का विषय है।
जाँच और कार्रवाई की माँग
स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई की माँग की है। उनका कहना है कि दोषी कर्मीयों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएँ, ताकि शासन की नीतियों का पालन सुनिश्चित हो सके। साथ ही, यह भी माँग की जा रही है कि अटैचमेंट की प्रक्रिया को और पारदर्शी व जारी दिशा निर्देश का परिपालन सुनिश्चित किया जाए जिससे भविष्य में ऐसी अनियमितताएँ न हों।