साहब अगले जनम मोहे कार्यालय न कीजो,युवाओं के भविष्य निर्माण में सहायक मुख्य कार्यालय का भविष्य संकट में.कोरिया,

कोरिया/विराट दुबे: देश व प्रदेश में बेरोजगार युवाओं का आंकड़ा महंगाई की तरह दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है,रोजगार को लेकर सरकारें चाहे जितनी भी उपलब्धि गिना ले किंतु सत्य किसी से छिपा नही,एक युवा जब अपने सुनहरे भविष्य के लिए सरकारी नौकरी की आस लिए होता है तो उसे विभिन्न परिस्थितियों का सामना करना होता है चाहे वह परिस्थिति परीक्षा में अव्वल आने की होड़ हो या प्रतियोगी परीक्षाओं में अपने प्रतिद्वंद्वीयो को पछाड़ नौकरी पाने की हो अन्तःत जब नौकरी की तलाश पूर्ण रूप से चल ही रहा होता है तब न केवल स्कूली और कॉलेज के सर्टिफिकेट की जरूरत होती है अपितु रोजगार पंजीकरण की आवश्यकता भी होती है और इस पंजीकरण के बिना किसी भी व्यक्ति को सरकारी नौकरी नही मिलती यह कहना कोई गलत नही होगा,रोजगार पंजीकरण की व्यवस्था सरकार द्वारा प्रारंभ किया गया जिसका मुल उद्देश्य विभाग के रोजगार स्कंध का मूल उद्देश्य नौकरी चाहने वालों की नियुक्ति में पंजीकरण और सहायता करना है।
श्रम की मांग और आपूर्ति के उपयोग के लिए डेटा बेस के निर्माण के लिए व्यापक जानकारी एकत्र करना और तिमाही आधार पर संकलन करना।
परामर्श और व्यावसायिक मार्गदर्शन के लिए कैरियर साहित्य तैयार करना।
क्षेत्र विशिष्ट अध्ययन/सर्वेक्षण आयोजित करना जिसे क्षेत्र रिपोर्ट कहा जाता है। इस रिपोर्ट में विशेष रूप से ग्रामीण अनौपचारिक क्षेत्र में स्वरोजगार के लिए नौकरी चाहने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए उपलब्ध कौशल और विपणन योग्य कौशल का आकलन है इत्यादि ।
अब तक आप समझ ही चुके होंगे कि रोजगार पंजीकरण और रोजगार कार्यालय का महत्व भारत के भविष्य कहे जाने वाले युवक युवतियों हेतु कितना आवश्यक है,

अब आते मुख्य बिंदु पर जो है 22 वर्ष पूर्व बने छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले की जिससे हाल ही में तोड़कर एक नया जिला का निर्माण किया गया है,कोरिया जिले का जिला मुख्यालय बैकुंठपुर है जिससे अधिकतर विभागों सरकारी कार्यलय भी इसी शहर में स्थित है किंतु पूर्व में लिए गए प्रशासन के निर्देशानुसार कुछ कुछ विभागों के कार्यलयों को बैकुंठपुर से 50 किलोमीटर दूर स्थित मनेन्द्रगढ़ शहर में संचालित किए जाने लगा,जिसमे जिला रोजगार पंजीकरण कार्यलय भी मनेन्द्रगढ़ के हिस्से में आ गया
चूंकि मनेन्द्रगढ़ की दूरी भी जिला मुख्यालय और आस पास के जिले के ग्रामीण क्षेत्रो से दूर ही नज़र आई तो प्रशासन ने बैकुंठपुर में सप्ताह के एक दिन (मंगलवार) को संचालित किए जाने का फैशला लिए जिससे आस पास के बेरोजगार युवक युवतियों को इसका लाभ मिल सके, और यह सिलसिला तब से लेकर अब तक चला आ रहा है कहने को तो 2 दशक बीत गए किंतु जिला मुख्यालय में स्थित रोजगार कार्यालय को अपना खुद का कार्यालय नही मिला किसी अन्य विभाग के खाली पड़े पुराने जर्जर भवन को इस कार्यालय के रूप में संचालित किया जाने लगा,भारत के भविष्य (युवाओं) निर्माण अहम भूमिका निभाने वाले विभाग के कार्यालय का भविष्य संकट में है यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नही,इस एक दिवसीय कार्यालय की हालत इतनी खराब है कि वह राज्य जो खुद बिजली उत्पादन करता हो वही के रोजगार कार्यालय में बिजली तक की व्यवस्था नही हालात इतनी दयनीय है है कार्यालय के अंदर और बाहर से देखने पर आपको तरश आ जाये, देश के प्रधानमंत्री जहां एक ओर छोटे से छोटे कस्बे के प्रत्येक घरों में शौचालय बनवाने का ख्वाब बुने हुए है तो वही एक दिन के कार्यलय में कार्य करने जो महिला /पुरुष कर्मचारी आते है उनके लिए शौचलय तक कि व्यवस्था नही है,

कार्यालय की इस हालत को लेकर जम हमने जिला रोजगार कार्यालय के अधिकारी ऐस.के.भार्वे से बात की तो उन्होंने बताया कि वहां के कार्यालय में एक दिवसीय कार्य किया जाने का प्रावधान चला आ रहा है बाकी के बचे सप्ताह अन्य कार्यालयीन दिवस में कार्य मनेन्द्रगढ़ स्थित कार्यालय से संचालित किया जाता है उन्हेंनो ने माना कि जिला मुख्यालय में स्थित कार्यलय भवन काफी पुराना और जर्जर स्थिति में है साथ ही वहां शौचालय की व्यवस्था तक नही जिससे कर्मचारियों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है,

अब बात करते है जिम्मेदार प्रशासन के उन अधिकारीयो की क्या उन्हें कार्यालय के भवन के स्थिति नज़र नही आती चूंकि एक दिवसीय रोजगार कार्यालय के आस पास अन्य कई महत्वपूर्ण अधिकारियों के कार्यालय भी अस्थापित है लेकिन इसे प्रशासन की लापरवाही कहे या अनदेखा भुगतना तो वहां अपनी जान जोखिम में डाल कार्य कर रहे कर्मचारियों एंव अपना पंजीकरण कार्य पूर्ण कराने दुर दराज से आये बेरोजगार युवक युवतियों को पड़ता है, एक सरकारी कार्यालय की इतनी दुर्दशा देखने के बाद हम कतई नहीं कह सकते कि “गड़बो नवा छत्तीसगढ़”