फ़र्ज़ी डिग्री के मामले में डॉ प्रिंस जायसवाल की सेवा समाप्त,राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने किया बड़ी कार्यवाही:सुरजपुर

Dr Prince Jaiswal's life ended in fake degree case, National Health Mission took big action: Surajpur

सुरजपुर/कौशलेंद्र यादव | राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), छत्तीसगढ़ ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए जिला सूरजपुर में पदस्थ संविदा जिला RMNCH+A कंसल्टेंट डॉ. प्रिंस जायसवाल की सेवा को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है। यह निर्णय शिकायतकर्ता संजय जायसवाल की ओर से की गई शिकायत के बाद लिया गया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि डॉ. प्रिंस जायसवाल ने MPH की फर्जी डिग्री प्रस्तुत कर संविदा पद के लिए आवेदन किया था।

प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, डॉ. जायसवाल ने Calorx Teachers University (अब साबरमती विश्वविद्यालय) से Master of Public Health (MPH) की डिग्री दिखाते हुए जिला कार्यक्रम प्रबंधक के पद के लिए आवेदन किया था। उक्त डिग्री के सत्यापन के लिए विश्वविद्यालय से संपर्क किया गया, जिसके जवाब में विश्वविद्यालय ने स्पष्ट रूप से लिखाः

There is no records available for the following mentioned student, with the University therefore we regret that no verification information can be provided by Sabarmati.”

बाद में एक और पत्र में विश्वविद्यालय ने स्पष्ट कियाः

“Mr. Prince Jaiswal is not the student of Sabarmati University (Formerly Calorx Teachers University). Document is Fraudulent and Misrepresentation as per university records.”

यह जानकारी मिलने के बाद कार्यालय कलेक्टर सूरजपुर से संबंधित प्रमाण पत्र की भी जांच की गई और पुष्टि हुई कि डॉ. जायसवाल द्वारा प्रस्तुत शैक्षणिक प्रमाण पत्र फर्जी हैं। इसके बाद उन्हें कई बार स्पष्टीकरण देने का

मानव संसाधन नीति 2018 के तहत गंभीर कदाचार

NHM छत्तीसगढ़ ने इसे मानव संसाधन नीति 2018 की धारा 34.3 के अंतर्गत “गंभीर कदाचार की श्रेणी में मानते हुए, दिनांक 23 फरवरी 2024 को जारी आदेश क्रमांक 4186 को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। साथ ही एक माह का वेतन/मानदेय प्रदान करते हुए उनकी संविदा सेवा को समाप्त कर दिया गया है।

नियमों का हवाला

डॉ. प्रिंस जायसवाल का यह कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 एवं संविदा सेवा नियम 2012 के भी प्रतिकूल पाया गया है। आदेश में कहा गया है कि उन्होंने सेवा में रहते हुए जानबूझकर फर्जी दस्तावेज़ प्रस्तुत कर उच्च पद प्राप्त करने की कोशिश की, जो कि सेवा शिष्टाचार के विरुद्ध और नैतिक मूल्यों के उल्लंघन के समान है।

जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि डॉ. जायसवाल द्वारा प्रस्तुत Master of Public Health (MPH) की डिग्री, जो कि साबरमती विश्वविद्यालय (पूर्व में Calorx Teachers University) से दिखाया गया था, पूरी तरह फर्जी है। विश्वविद्यालय ने अपने जवाब में साफ लिखा कि ‘प्रिंस जायसवाल हमारे छात्र नहीं हैं, उनके दस्तावेज़ फर्जी और भ्रामक हैं।” बार-बार स्पष्टीकरण मांगे जाने के बावजूद जब संतोषजनक उत्तर नहीं मिला, तो NHM ने इसे मानव संसाधन नीति 2018 की धारा 34.3 के तहत गंभीर कदाचार मानते हुए उनकी सेवा समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया।

शिकायतकर्ता संजय जायसवाल की प्रतिक्रिया-

इस पूरे घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए शिकायतकर्ता संजय जायसवाल ने एक सशक्त बयान जारी किया है।

उन्होंने लिखाः

“हक़ीक़त छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से कि ख़ुशबू आ नहीं सकती कभी काग़ज़ के फूलों से।”

उन्होंने आगे कहा:

“मैं संजय जायसवाल हूँ और मेरी शिकायत पर कार्यवाही करते हुए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन छत्तीसगढ़ ने डॉ. प्रिंस जायसवाल की संविदा सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी है। बार-बार अवसर दिए जाने के बावजूद उन्होंने प्रमाणित स्पष्टीकरण नहीं दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि उन्होंने शासकीय संविदा पद पाने के लिए जानबूझकर फर्जी डिग्री का सहारा लिया।”

इस अवसर पर उन्होंने समाज को एक गहरा संदेश भी दियाः

“जब झूठे शोर मचाते हैं तो सच्चे चुप हो जाते हैं, जब सच्चे चुप हो जाते हैं तो झूठे खुश हो जाते हैं। झूठे को लगता है हमने सच को हराया है. लेकिन पगले वो क्या जाने कि सच्चे ने सिर्फ अपना किरदार बचाया है।”

एक मिसाल बनी यह कार्यवाही

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा की गई यह कार्रवाई न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता का उदाहरण है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि शासकीय पदों पर फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह घटना उन सभी के लिए चेतावनी है जो झूठे दस्तावेज़ों के सहारे पद पाना चाहते हैं।

यह मामला साबित करता है कि देर से ही सही, लेकिन सच्चाई की जीत होती

वही इस पूरे मामले में डॉ प्रिंस जायसवाल द्वारा दिये गए व्हाट्सएप ग्रुप में बयान का स्क्रीन शार्ट भी वायरल हो रहा है जिसमे वे लिखते नज़र आ रहे है कि…

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