छत्तीसगढ़: शैतान का डर, बाइबल की प्रार्थना और अंत में मौत,16 साल की योगिता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत,इलाज के नाम पर तीन महीने तक बंधक बनाए रखने और धर्मांतरण के प्रयास का आरोप
Chhattisgarh: Fear of the devil, prayer to the Bible and finally death, 16-year-old Yogita dies under suspicious circumstances, allegations of keeping her hostage for three months in the name of treatment and attempt to convert

गरियाबंद/ जितेन्द्रा सिन्हा- ज़िले के राजिम थाना क्षेत्र के सुरसाबांधा गांव से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। 21 मई को दोपहर करीब 1 बजे 16 वर्षीय योगिता सोनवानी की मौत इलाज के दौरान हो गई। परिजनों का आरोप है कि योगिता को तीन महीने तक एक महिला द्वारा बंधक बनाकर शैतान के डर का भय दिखाते हुए इलाज के नाम पर प्रार्थना और बाइबल पढ़ने को मजबूर किया गया।
योगिता के पिता का पहले ही निधन हो चुका था। मानसिक रूप से बीमार बेटी के इलाज की जिम्मेदारी माँ सुनीता सोनवानी के कंधों पर थी। अपनी बेटी के बेहतर इलाज की उम्मीद में सुनीता रायपुर के तेलीबांधा स्थित एक निजी अस्पताल में इलाज करवा रही थीं। इलाज में काफी खर्चा हुआ, यहाँ तक कि पंडरी स्थित मकान तक बेचना पड़ा। मगर कोई खास सुधार नहीं हुआ।
सुनीता (मृतक की माँ)
इसके बाद सुनीता अपनी बेटी को लेकर महासमुंद अपने मायके पहुंचीं और वहां से जानकारी मिलने पर सुरसाबांधा गांव आकर ईश्वरी साहू नाम की महिला के संपर्क में आईं, जो खुद को “इलाज करने वाली” बताती थी। यहां पिछले तीन महीने से माँ-बेटी गांव के अंतिम छोर पर एकांत जगह में रह रहे थे।
सुनीता का आरोप है कि ईश्वरी साहू ने उन्हें किसी से संपर्क न करने, बाहर न निकलने की सख़्त हिदायत दी थी। इलाज के नाम पर न कोई डॉक्टर था, न कोई दवा – सिर्फ आयुर्वेदिक तेल, बाइबल पढ़ाई और शैतान भगाने की बातें थीं।
स्थानीय महिलाओं ने नाम न छापने की शर्त पर पुष्टि की कि यहां नियमित रूप से चंगाई सभा होती है, जिसमें प्रभु की प्रार्थना और बाइबल पढ़ाई जाती है।
योगिता की हालत लगातार बिगड़ती गई और अंततः उसकी मौत हो गई। जब माँ सुनीता ने स्थानीय लोगों की मदद से मामला उजागर किया और राजिम थाना पहुंची, तो पुलिस ने रातभर उन्हें टालते रहे। करीब आधी रात के बाद ही एफआईआर दर्ज हुई और पुलिस मौके पर पहुंची।
पुलिस ने मर्ग कायम कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और महिला ईश्वरी साहू को हिरासत में लेकर उस पर धर्मांतरण और बंधक बनाने का मामला दर्ज किया गया है। अब पूरे मामले की जांच जारी है। वही घटना को लेकर समाज प्रमुखो सहित ग्रामीणों मे काफ़ी आक्रोश व्याप्त है.
एक माँ की बेबसी, अंधविश्वास और धर्म के नाम पर होता यह कथित ‘इलाज’… एक बार फिर छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण और क़ानून व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर रहा है। सवाल यही है—क्या योगिता को न्याय मिलेगा? या ये मामला भी अन्य फाइलों की तरह धूल फांकता रह जाएगा?